रविवार, 15 मार्च 2015

Coz I'm Red

In the gazing darkness,
I walk slowly, take step by step
But I am not afraid
Coz I'm Red

I always get onto the field
loss or win never concerned
train alot and hard I practice
Coz I'm Red

blood and sweat have become one
sunrise and sunset have become one
I have travelled some but there are miles ahead
Not an inch afraid coz I' Red, Coz I'm Red

~Lokesh

Another rendition not mine

coz I'm RED
I breathe energy and keep moving,
with passion I continue proving
my actions my love proceed to spread
uninterrupted i go coz I'm red
#ff0000

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

intervening thoughts

Ek daur tha, ek safar tha .. kuch khala tha kuch kaha tha 
ant ki aur na badha tha , mai bhi wahi tha aur ye sama kahi aur tha
lekin na jane kis surkh aakh se, ek moti yu chalka tha 
dekhne me nahi, mehsus karne me kahi tha 

sathi bhi mai tha aur safar bhi mai tha 
gagan me uda bhi nahi lekin pani pe chala sirf mai tha
hatho ko darkinar kiya maine par kandho pe roya mai hi tha
jakar aaya to pata chala, us gali k aage ka mod bhi mai tha

rundha hua gala, hatheli se saja, 
maut bhi mai tha, jeevan bhi mai hi tha
khaikhabar jo puchi thi sabse, samachaar bas nahi tha
jis ko peeche chod aaya, us gharonde ka tinka mai hi tha

samay k pahiye ka chakra ye ajeeb kaisa 
kinara b mai bana jal tarang bhi mai hi hua
kadamo ke nishaano pe rengta 
dikh raha mai bas chalta hua, mai bas chalta hua 

सोमवार, 16 सितंबर 2013

Us aankh me

Aaj bhi hai dhundhle aansuo se palke,
Dekh ke lagta hai jaise, sau baar hai barse,
Naina jo neele the ho gaye hai ab wo surkh,
Mausam guzre, guzre pal hazar, par Kya pata kyu ye har baar hi tarse

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

नयी परिभाषा

रुखसत का मतलब विदाई होता है,
पर मेरे गीतों में ये बेवफाई होता है
आदत है मेरी शब्दों को बटोरने की,
जुड़ते हुए किस्सों का फ़साना होता है||

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

फिर वही राह

मैं दूर कही नहीं था लेकिन आज थक कर बैठा ढून्ढ रहा हु फिर वही राह

गुरुवार, 4 जून 2009

dur ho gaye

जब से दूर गयी हो मुझसे

दिन तो होते है पर मै शायद उठता नही
शब् तो खिलती है पर मै शायद सोता नही
क्या कहू क्या सितमगर ये ज़िन्दगी हुई
जो जहा की भीड़ मै एक तू ही मिलता नही
क्या कहू कैसे हुआ ज़िन्दगी रूठ गयी मुझसे
जब से दूर हो गयी हो तुम मुझसे
जब से दूर हो गयी हो तुम मुझसे

सूरज भी आग बनकर इस दिल पे बरस रहा है
चाँद जो अपनी मुलाकातों का गवाह था , आज वो भी मेरे हालत पे हस रहा है
हवा के झोंके जो तेरी हसी की याद दिलाते थे
आज वो भी तूफान बनके दिल पे गरज के जाते है
क्या कहू क्या हुआ जुदा जुदा सा रहने लगा हु ख़ुद से
जब से दूर गयी हो तुम मुझसे
जब से दूर गयी ही तुम मुझसे

खुशिया दस्तक देती रहती है
पर लगता है दरवाज़ा बंद ही रखु
जो तू नही है मेरे साथ में
तो तेरे गमो को ही नज़र में सजा के रखु
ऐसी क्या बात हुई जो तू मेरे ज़ज्बात समझ न पाई
प्यार तो किया था मैंने बहुत पर क्यों मेरी किस्मत में आयी रुसवाई
आँखों में तेरा दर्द छुपता हु आजकल में सबसे
ऐसा ही बन गया हु जब से रूठ गयी है तू मुझसे
जब से दूर गयी है तू मुझसे

आज बस ये तय कर लिया है
मांग लूँगा खुदा से सिर्फ़ तेरा साथ
क्युकी तनहा ये सफर करना
अब नही रह गयी मेरे बस की बात
अश्को के दामन में रात गुजर जाती है
और मेरे रह जाते है खली हाथ
थक गया हु सहते सहते अब नही होती मुझसे ये जुदाई बर्दाश्त
बहुत हो गया ये रूठना
बहुत हो गयी ये सारी बात
ख्वाहिश है मेरी बस यही
अब आजा तू मेरे पास
अब आजा तू मेरे पास ........


-लोकेश पिडावेकर
बहुत दिनों बाद आपके साथ रूबरू होने का मौका मिल रहा है । इसका आनंद उठाइए ।

बुधवार, 29 अप्रैल 2009

प्यार करती हो , तड़पाती भी हो


सामने आकर यु तडपती हो मुझे ,
मेरे साथ रहकर भी सताती हो मुझे,
कहती हो हर बार, सिर्फ़ तुम मेरे हो,
फिर पहना कर हार जुदाई का, तो क्यों बहलाती हो मुझे,
तुम हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.........

तुम क्यू हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.............

कहती हो कभी तुम मेरे लिए कुछ नही,
तो कहती हो कभी तुम ही मेरे सब कुछ हो,
रखती हो दूर हर वक्त मुझे अपने आप से,
और कहती हो तुम्ही मुझसे कुछ जुदा से हो,
ऐसा ही कहकर सदा रुला जाती हो मुझे,

तुम क्यू हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.........
तुम हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.............


जानती हो मेरे हालात फ़िर भी रहती हो कुछ अनजान सी,
समझती हो सब बात फिर भी रहती हो नादान सी,
कहती तो हो हर बार ज्ञान की गूढ़ बातें ,
पर मेरे प्यार की बातें आते ही हो जाती हो कुछ अज्ञान सी,
ऐसी ही बातों से तुम हर दम रिझाती हो मुझे,
बस युही हर वक्त तडपाती हो मुझे......
बस युही हरवक्त तडपाती हो मुझे........

देखती हो मुझे पर अनदेखा ही करती हो,
सुनती हो बातें मेरी पर अनसुना ही करती हो,
आपकी ये अदा भी हम सर आंखों पे रखते है
इसलिए तो तड़प कर भी आप ही से प्यार करते है,
ऐसे ही दिन रात मोहब्बत सिखा जाती हो मुझे,
क्युकी मै जनता हु ........ऐसे ही तड़पाकर प्यार करती हो मुझे......
ऐसे ही तड़पाकर प्यार करती हो मुझे..........

ये कविता मैंने बड़े दिनों बाद लिखी है जो शायद मैंने पुरे दिल से लिखी है
लोकेश पिडावेकर