प्यार करती हो , तड़पाती भी हो
सामने आकर यु तडपती हो मुझे ,
मेरे साथ रहकर भी सताती हो मुझे,
कहती हो हर बार, सिर्फ़ तुम मेरे हो,
फिर पहना कर हार जुदाई का, तो क्यों बहलाती हो मुझे,
तुम हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.........
तुम क्यू हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.............
कहती हो कभी तुम मेरे लिए कुछ नही,
तो कहती हो कभी तुम ही मेरे सब कुछ हो,
रखती हो दूर हर वक्त मुझे अपने आप से,
और कहती हो तुम्ही मुझसे कुछ जुदा से हो,
ऐसा ही कहकर सदा रुला जाती हो मुझे,
तुम क्यू हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.........
तुम हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.............
जानती हो मेरे हालात फ़िर भी रहती हो कुछ अनजान सी,
समझती हो सब बात फिर भी रहती हो नादान सी,
कहती तो हो हर बार ज्ञान की गूढ़ बातें ,
पर मेरे प्यार की बातें आते ही हो जाती हो कुछ अज्ञान सी,
ऐसी ही बातों से तुम हर दम रिझाती हो मुझे,
बस युही हर वक्त तडपाती हो मुझे......
बस युही हरवक्त तडपाती हो मुझे........
देखती हो मुझे पर अनदेखा ही करती हो,
सुनती हो बातें मेरी पर अनसुना ही करती हो,
आपकी ये अदा भी हम सर आंखों पे रखते है
इसलिए तो तड़प कर भी आप ही से प्यार करते है,
ऐसे ही दिन रात मोहब्बत सिखा जाती हो मुझे,
क्युकी मै जनता हु ........ऐसे ही तड़पाकर प्यार करती हो मुझे......
ऐसे ही तड़पाकर प्यार करती हो मुझे..........
ये कविता मैंने बड़े दिनों बाद लिखी है जो शायद मैंने पुरे दिल से लिखी है
लोकेश पिडावेकर
सामने आकर यु तडपती हो मुझे ,
मेरे साथ रहकर भी सताती हो मुझे,
कहती हो हर बार, सिर्फ़ तुम मेरे हो,
फिर पहना कर हार जुदाई का, तो क्यों बहलाती हो मुझे,
तुम हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.........
तुम क्यू हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.............
कहती हो कभी तुम मेरे लिए कुछ नही,
तो कहती हो कभी तुम ही मेरे सब कुछ हो,
रखती हो दूर हर वक्त मुझे अपने आप से,
और कहती हो तुम्ही मुझसे कुछ जुदा से हो,
ऐसा ही कहकर सदा रुला जाती हो मुझे,
तुम क्यू हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.........
तुम हर वक्त युही तडपाती हो मुझे.............

जानती हो मेरे हालात फ़िर भी रहती हो कुछ अनजान सी,
समझती हो सब बात फिर भी रहती हो नादान सी,
कहती तो हो हर बार ज्ञान की गूढ़ बातें ,
पर मेरे प्यार की बातें आते ही हो जाती हो कुछ अज्ञान सी,
ऐसी ही बातों से तुम हर दम रिझाती हो मुझे,
बस युही हर वक्त तडपाती हो मुझे......
बस युही हरवक्त तडपाती हो मुझे........
देखती हो मुझे पर अनदेखा ही करती हो,
सुनती हो बातें मेरी पर अनसुना ही करती हो,
आपकी ये अदा भी हम सर आंखों पे रखते है
इसलिए तो तड़प कर भी आप ही से प्यार करते है,
ऐसे ही दिन रात मोहब्बत सिखा जाती हो मुझे,
क्युकी मै जनता हु ........ऐसे ही तड़पाकर प्यार करती हो मुझे......
ऐसे ही तड़पाकर प्यार करती हो मुझे..........
ये कविता मैंने बड़े दिनों बाद लिखी है जो शायद मैंने पुरे दिल से लिखी है
लोकेश पिडावेकर