जब से दूर गयी हो मुझसे
दिन तो होते है पर मै शायद उठता नही
शब् तो खिलती है पर मै शायद सोता नही
क्या कहू क्या सितमगर ये ज़िन्दगी हुई
जो जहा की भीड़ मै एक तू ही मिलता नही
क्या कहू कैसे हुआ ज़िन्दगी रूठ गयी मुझसे
जब से दूर हो गयी हो तुम मुझसे
जब से दूर हो गयी हो तुम मुझसे
सूरज भी आग बनकर इस दिल पे बरस रहा है
चाँद जो अपनी मुलाकातों का गवाह था , आज वो भी मेरे हालत पे हस रहा है
हवा के झोंके जो तेरी हसी की याद दिलाते थे
आज वो भी तूफान बनके दिल पे गरज के जाते है
क्या कहू क्या हुआ जुदा जुदा सा रहने लगा हु ख़ुद से
जब से दूर गयी हो तुम मुझसे
जब से दूर गयी ही तुम मुझसे

खुशिया दस्तक देती रहती है
पर लगता है दरवाज़ा बंद ही रखु
जो तू नही है मेरे साथ में
तो तेरे गमो को ही नज़र में सजा के रखु
ऐसी क्या बात हुई जो तू मेरे ज़ज्बात समझ न पाई
प्यार तो किया था मैंने बहुत पर क्यों मेरी किस्मत में आयी रुसवाई
आँखों में तेरा दर्द छुपता हु आजकल में सबसे
ऐसा ही बन गया हु जब से रूठ गयी है तू मुझसे
जब से दूर गयी है तू मुझसे
आज बस ये तय कर लिया है
मांग लूँगा खुदा से सिर्फ़ तेरा साथ
क्युकी तनहा ये सफर करना
अब नही रह गयी मेरे बस की बात
अश्को के दामन में रात गुजर जाती है
और मेरे रह जाते है खली हाथ
थक गया हु सहते सहते अब नही होती मुझसे ये जुदाई बर्दाश्त
बहुत हो गया ये रूठना
बहुत हो गयी ये सारी बात
ख्वाहिश है मेरी बस यही
अब आजा तू मेरे पास
अब आजा तू मेरे पास ........
-लोकेश पिडावेकर
बहुत दिनों बाद आपके साथ रूबरू होने का मौका मिल रहा है । इसका आनंद उठाइए ।
दिन तो होते है पर मै शायद उठता नही
शब् तो खिलती है पर मै शायद सोता नही
क्या कहू क्या सितमगर ये ज़िन्दगी हुई
जो जहा की भीड़ मै एक तू ही मिलता नही
क्या कहू कैसे हुआ ज़िन्दगी रूठ गयी मुझसे
जब से दूर हो गयी हो तुम मुझसे
जब से दूर हो गयी हो तुम मुझसे
सूरज भी आग बनकर इस दिल पे बरस रहा है
चाँद जो अपनी मुलाकातों का गवाह था , आज वो भी मेरे हालत पे हस रहा है
हवा के झोंके जो तेरी हसी की याद दिलाते थे
आज वो भी तूफान बनके दिल पे गरज के जाते है
क्या कहू क्या हुआ जुदा जुदा सा रहने लगा हु ख़ुद से
जब से दूर गयी हो तुम मुझसे
जब से दूर गयी ही तुम मुझसे

खुशिया दस्तक देती रहती है
पर लगता है दरवाज़ा बंद ही रखु
जो तू नही है मेरे साथ में
तो तेरे गमो को ही नज़र में सजा के रखु
ऐसी क्या बात हुई जो तू मेरे ज़ज्बात समझ न पाई
प्यार तो किया था मैंने बहुत पर क्यों मेरी किस्मत में आयी रुसवाई
आँखों में तेरा दर्द छुपता हु आजकल में सबसे
ऐसा ही बन गया हु जब से रूठ गयी है तू मुझसे
जब से दूर गयी है तू मुझसे
आज बस ये तय कर लिया है
मांग लूँगा खुदा से सिर्फ़ तेरा साथ
क्युकी तनहा ये सफर करना
अब नही रह गयी मेरे बस की बात
अश्को के दामन में रात गुजर जाती है
और मेरे रह जाते है खली हाथ
थक गया हु सहते सहते अब नही होती मुझसे ये जुदाई बर्दाश्त
बहुत हो गया ये रूठना
बहुत हो गयी ये सारी बात
ख्वाहिश है मेरी बस यही
अब आजा तू मेरे पास
अब आजा तू मेरे पास ........
-लोकेश पिडावेकर
बहुत दिनों बाद आपके साथ रूबरू होने का मौका मिल रहा है । इसका आनंद उठाइए ।
6 टिप्पणियां:
sundar...ati sundar
apani tanhaayio ka
kaafi accha varnan kia hain
u are best at this type of poem
thnx chirag for your hinest comments
amazing yar, do pal k liye to me sapno ki duniya me kho gai... without experiencing love no one could feel this....you might be/have been in love with some one ....don't say no.. ok, i caught u
sach me...bahut hi jyada accha likha he tune.... mere pas shabd nahi he kuch bhi kehne ko... yu to ye comment bahut bada he but fir bhi chota he.
thanku sanj meri baat rakhne k liye aur bada sa achcha sa comment dene ke liye
Great poetry... Check this:: http://ebook-hive.blogspot.com
thanks for following my blog.
yet iam not regular on my blog from last couple of month.but now iam back to regular blogging.
i hope you will visit my blog now and will post your comment on the posts....
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
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